Friday, August 8, 2014

राग सोरठी बाणी भगत रविदास जी की

चमरटा गांठी न जनई I

लोगु गठावै पनही I

आर नहीं जीउ तोपउ I

नहीं रांबी ठाउ रोपउ I

लोगु गंठि गंठि खरा बिगूचा I

हउ बिनु गांठे जाइ पहूचा I

रविदासु जपै राम नामा I

मोहि जम सिउ नाही कामा II

Saturday, January 25, 2014

कबीर दास जी के दोहे

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
अर्थ : मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु  आने पर ही लगेगा !